किशोर कुमार और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
1964 में निर्देशक शांतिलाल सोनी, किशोर कुमार और कुमकुम अभिनीत “मिस्टर एक्स इन बॉम्बे” बना रहे थे। जाहिर है, एक गायक के रूप में किशोर कुमार ही “मि. एक्स इन बॉम्बे” के गाने गाएंगे. लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने इससे पहले बी ग्रेड फिल्मे “पारसमणि”, “हरिश्चंद्र तारामती”, “सती सावित्री”, “संत ज्ञानेश्वर” और “दोस्ती” की फिल्मों के गीतों के माध्यम से हिंदी फिल्म संगीत में एक उच्च प्रभाव डाला था. इन फिल्मों में लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल को लता मंगेशकर, मुकेश, मोहम्मद रफी और मन्ना डे जैसे महान गायकों के साथ काम करने का अवसर मिला और उन्होंने “ए ग्रेड” संगीत तैयार किया।
अब लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के लिए अभिनेता / गायक किशोर कुमार के साथ “मिस्टर एक्स इन बॉम्बे” में काम करने का समय था। उस समय किशोर कुमार अपने संगीत करियर के बुरे दौर से गुजर रहे थे। २६ साल के लक्ष्मीकांत और २३ साल के प्यारेलाल, दोनों किशोर कुमार के घर गाने की “ट्यून” ले गए। किशोर कुमार धुन सुनकर इतने खुश हुए कि उन्होंने घर में मौजूद सभी लोगों को बताना शुरू कर दिया, उनके माली, प्रबंधक, सुरक्षा गार्ड कि देखो ये दोनों लड़के (लक्ष्मीकांत और प्यारेलाल) मेरे लिए बहुत प्यारी और यादगार धुन लाए हैं। वो गाना था “मेरे महबूब क़यामत होगी”

“मेरे महबूब क़यामत होगी”, किशोर कुमार और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल का “कॉम्बो” इसी गाने से १९६४ से शुरू हुआ. आगे चलकर इस बेहतरीन “कॉम्बो” ने १९६४ – १९८७ तक, 402 गानों का अनमोल तोहफा संगीतप्रेमियों को दिया.
इस प्रकार यह ऐतिहासिक गीत “मेरे महबूब क़यामत होगी”, किशोर कुमार और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल का पहला गीत बन गया। 402 का यह आंकड़ा किसी भी संगीत निर्देशक के साथ किशोर कुमार द्वारा गए गीतों की संख्या दूसरे नंबर पर है. पहले पहले स्थान पर किशोर कुमार और आरडी बर्मन 499 के साथ हैं।
यहाँ ये बात बताना ज़रूरी है की किशोर कुमार और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल का “कॉम्बो”, किशोर कुमार और आरडी बर्मन के “कॉम्बो” से पहले बना है
संयोगवश, यह ऐतिहासिक गीत, “मेरे महबूब क़यामत होगी”, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल और किशोर कुमार के साथ, महान गीतकार आनंद बख्शी का भी पहला गीत है।
इस गाने के लिए किशोर कुमार की पहली ही प्रतिक्रिया/निर्णय सही था। यह गीत आज भी लोकप्रिय है.

किशोर कुमार और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के कॉम्बिनेशन में बहुरूपता / विविधता है. जरा नज़र डाले।
लोक (मैं जहां चला जौन, “बनफूल”, 1970),
मुजरा (नाच मेरी बुलबुल, रोटी, 1974),
ग़ज़ल (प्यार को चाहिए क्या एक नज़र, “एक नज़र”, 1972),
लोरी (सोई जा तारा “मस्तान, 1970),
कव्वाली (हाल क्या है दिलों का, “अनोखी अदा”, 1973),
दार्शनिक (आदमी जो कहता है, “मजबूर”, 1974)
शास्त्रीय (चली रे चली रे गोरी (लता के साथ), “मिस्टर एक्स इन बॉम्बे”, 1964),
रोमांटिक (मेरे दिल में आज क्या है, “दाग”, 1973),
वेस्टर्न क्लासिक्स (जानी ओ जानी, “राजा जानी”, 1972),
उदास (ये दर्द भरा अफसाना, “श्रीमान फंटुश”, 1965),
भक्ति (प्रेम का रोग लगा मुजे “दो प्रेमी”, 1980),
प्रेरणा (गाड़ी बुला रही है, “दोस्त”, 1974),
देशभक्ति (देखो वीर जवानो, “आक्रमण”, 1975),
डिस्को (पैसा ये पैसा, “कर्ज़”, 1980) से लेकर ‘चालू’ गाने तक।
इस तरह के गाने किसी भी म्यूजिक डायरेक्टर के साथ किशोर कुमार के गानों में नहीं मिलेंगे। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस ‘कॉम्बो’ को उस तरह की मान्यता, प्रशंसा नहीं मिली, जो निश्चित रूप से, निष्पक्ष रूप से योग्य है।
हां ! पर इस किशोर कुमार और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ‘कॉम्बो’ ने राजेश खन्ना को कई यादगार हिट फिल्में दी हैं।
कुछ और बेहतरीन गाने किशोर कुमार और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
मेरे महबूब क़यामत होगी …(मिस्टर एक्स इन बॉम्बे, 1964) सैड सॉन्ग।
प्यारे बताते चलो…(हम सब उस्ताद है, 1965) देशभक्ति गीत।
मेरे नसीब मैं ऐ दोस्त…. (दो रास्ते, 1969) इमोशनल सॉन्ग
वादा तेरा वादा … (दुश्मन, 1972) मुजरा / कव्वाली
ये जीवन है….(पिया का घर, 1971) वेस्टर्न
मेरे दीवानेपन की भी दवा नहीं…. (महबूब की मेहंदी, 1972) रोमांटिक
कृष्णा कृष्णा बोलो कृष्णा….(नया दिन नई रात, 1974) भक्ति
रुक जाना नहीं तू कहीं हर के…. (इम्तिहान, 1974) प्रेरणा
आपके अनुरोध पे…. (अनुरोध, 1977) शास्त्रीय
एक रितु आए एक रितु जाए…. (गौतम गोविंदा, 1979) सॉफ्ट रेंडरिंग
ॐ शांति ॐ …। (कर्ज़, 1980) डिस्को /वेस्टर्न
कहां जा रहा था….(कत्ल, 1986) दहाड़ते किशोर कुमार
अजय पौण्डरिक
वड़ोदरा
Fantastic article.
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