
भगवान श्री कृष्णा और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के मधुर गाने
लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के गीत सभी पीढ़ियों के लिए हैं, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल गीत किसी भी स्थिति के लिए उपलब्ध हैं, इसके अलावा लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल गीत ईद, ईस्टर और क्रिसमस सहित सभी भारतीय त्योहारों के लिए भी उपलब्ध हैं।
भगवान कृष्ण के जन्म के अवसर पर, यह ब्लॉग आपके लिए लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल द्वारा रचित मधुर गीतों को लेकर आया है जो भगवान कृष्ण की प्रकृति के विभिन्न रंगों को चित्रित करते हैं।
लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने कई यादगार गीत रिकॉर्ड किए हैं जो भगवान कृष्ण की मिश्रित प्रकृति की विशेषता रखते हैं। संगीत निर्देशकों में, यह लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल हैं जिन्होंने हिंदी फिल्मों में भगवान कृष्ण पर सबसे अधिक गीतों की रचना की है। इनमें से कई गीत दुनिया भर के मंदिरों में सुने जा सकते हैं।
समीक्षा के लिए नीचे कुछ गाने (20 नंबर) + 7 सर्वश्रेष्ठ गाने
ओ कन्हैया तेरी मुरली की तान… लता मंगेशकर – मन्ना डे “राजा और रंक” 1968
नंदलाल गोपाल दया कर के … आशा भोंसले – उषा मंगेशकर “साधु और शैतान” 1968।
नंदलाला होली खेले… लता-रफ़ी-आशा-मुकेश “मस्ताना” 1970
बांसुरी तिहारी नंदलाल… आशा भोंसले “साजन” 1970
शाम ढले जमुना किनारे… लता मंगेशकर – मन्नाडे “पुष्पांजलि” 1970
गोकुल की गलियों की और… किशोर कुमार “बदला” 1972।
छोडो कन्हाई में दूंगी दुहाई… लता मंगेशकर “शादी के बाद” 1972।
सोजा सोजा कृष्ण कन्हैया …. लता मंगेशकर “शादी के बाद” 1972।
कृष्णा कृष्णा बोलो … किशोर कुमार – लता मंगेशकर “नया दिन नई रात” 1974।
जय जय कृष्ण जय जय कृष्ण… लता मंगेशकर “बिदाई” 1975।
अच्छे समय पे तुम आए कृष्णा… आशा भोंसले “बिदाई” 1975।
भोर भये पनघाट पे … लता मंगेशकर “सत्यम शिवम सुंदरम” 1978।
तीन बत्ती वाला गोविंदा आला…. मोहम्मद रफ़ी – किशोर कुमार “मुक़ाबला” 1979।
बंसी बजाओ बंसी बजैया…. किशोर कुमार “जुदाई” 1981।
गोकुल की गलियों का ग्वाला… किशोर – आशा – उषा “रास्ते प्यार के” 1982
मोरा रूप रंग … लता मंगेशकर “कत्ल” 1986।
चल हट कल फिर… लता मंगेशकर “नाचे मयूरी” (1987)
नंद का लाला नंद गोपाल … अनुराधा पौडवाल “इंसाफ” (1987)
बंसी वाले ने घर लाई… लता मंगेशकर “संतोष” 1989
कृष्णा आयेगा… अमित कुमार – कविता कृष्णमूर्ति “युगंधर” 1993
कुछ बेहतरीन नग्मे
दय्या रे दय्या यशोदा मैया। “आसरा” 1966
(गायक:- लता मंगेशकर। गीतकार:- आनंद बख्शी)
एक अत्यंत मधुर गीत। लताजी ने ‘बड़ा ssss नटखट है तेरो नंदलाल’ >> शब्द को कितनी खूबसूरती से गाया है। मधुर ढोलक ताल। SITAR और FLUTE को ‘इंटरल्यूड्स’ में शानदार ढंग से निष्पादित किया गया है जो कानों को सुखद क्षण देता है। यह गाना एक्ट्रेस अमीता पर फिल्माया गया है। वीडियो क्लिप में अभिनेता जगदीप, बलराज साहनी, निरूपा रॉय, डेविड को भी देखा जा सकता है।
कान्हा कान्हा आन पड़ी मैं तेरे द्वार। “शागिर्द” 1967
(गायक:- लता मंगेशकर। गीतकार:- मजरूह सुल्तानपुरी)
लताजी के AALAPS से भरपूर 30 सेकंड के ‘prelude’ को सम्मोहित करता है. साथ-साथ तीखे ढंग से बजाइ गयी सितार कर्णप्रिय लगती है । लताजी ‘कान्हा sssss , कान्हा sssss द्वारा सुंदर टेक ऑफ। सितार, एकल वायलिन के साथ-साथ बांसुरी (भारतीय बांसुरी) के उपयोग के साथ सभी ‘interlude ‘ को बेहतरीन तरीकेसे प्रस्तुत किया गया है। इसमें प्रशंसनीय ढोलक/तबला ताल है। यह धुन सायरा बानो पर फिल्माई गई है जो बेहद खूबसूरत लग रही हैं।
सांझ सवेरे अधरों पे मेरे। “माधवी” 1968
(गायक:- लता मंगेशकर। गीतकार:- आनंद बख्शी)
राग मझ खमाज पर आधारित मधुर और शुद्ध शास्त्रीय गीत। लताजी का प्रतिपादन असाधारण है, विशेष रूप से ‘टेक ऑफ’ ‘सांज सवेरे, अधरों पे मेरे’ को acoustic गिटार के ‘स्ट्रोक’ से सजाया गया है। FLUTE (भारतीय बांसुरी) को ‘मुखड़ा’ में filling के रूप में आकर्षक रूप से प्रयोग किया जाता है। सभी ‘अंतराल’ में SITAR और FLUTE का उपयोग अभूतपूर्व है। सुंदर ढोलक/तबला ताल।
यशोमती मैया से बोले। “सत्यम शिवम सुंदरम” 1978
(गायक:- लता मंगेशकर- मन्नाडे। गीतकार:- पंडित नरेंद्र शर्मा)
तानपुरा, बांसुरी और हारमोनियम के साथ आकर्षक 34 सेकंड ‘प्रस्तावना’ (prelude) का बेहतरीन इस्तेमाल । इसमें आकर्षक ढोलक लय है जो आपकी गर्दन को ‘स्विंग’, हीला देगी। ‘इंटरल्यूड’ में बांसुरी का शानदार ढंग से उपयोग किया जाता है जो बहुत कर्णप्रिय है । लताजी ने ‘राधा क्यों गोरी’ पंक्तियाँ गाते हुए, बाल कलाकार, फिर पद्मिनी कोल्हापुरे को सूट करते हुए, अपनी प्रतिपादन शैली को कितना उज्ज्वल रूप से बदल दिया है। हारमोनियम पर नजर आ सकते हैं अभिनेता कन्हैयालाल.
जाऊं तोरे चरण कमल। “सूर संगम” (1985)
(गायक :- लता मंगेशकर – राजन / साजन मिश्रा। गीतकार:- वसंत देव)
गाना ‘राग’ भूपाली पर बना है। लताजी ने कितनी भव्यता से ‘आलप्स’ दिया है और ‘जौन तोरे चरण कमल’ (जाऊं तोरे चरण कमल) शब्दों का प्रतिपादन किया है। भारतीय शास्त्रीय शैली के साथ-साथ मधुर ढोलक ताल में एक अद्भुत ऑर्केस्ट्रा व्यवस्था। संतूर, जलतरंग, बांसुरी, विचित्र वीणा, सितार और मंजीरा का उपयोग करके ‘इंटरल्यूड्स’ मधुर ढंग से orchestrate, synchronized और साथ ही विभिन्न धुनों के साथ ओवरलैप किए गए हैं।
यशोदा का नंदलाला ब्रिज का उजाला “संजोग” (1986)
(गायक:- लता मंगेशकर। गीतकार:- अनजान )
इस गाने की खूबी है लताजी का लोरी अंदाज में थिरकना जू जू जू जू, यशोदा का नंदलाला। इसमें एक सुसंगत ढोलक लय है। ‘इंटरल्यूड्स’ JAZZ बांसुरी, सिम्फनी शैली वायलिन और साथ ही सितार के साथ ऑर्केस्ट्रेटेड हैं। जयाप्रदा पर फिल्माया गया गाना है।
राधा नाचेगी। “सौदागर” (1991)
(गायक :- लता मंगेशकर – मोहम्मद अजीज। गीतकार:- आनंद बख्शी)
इस गीत का सबसे अच्छा हिस्सा कोरस का उपयोग है और यह पारंपरिक भारतीय संगीत वाद्ययंत्रों जैसे शैल ध्वनि, मंदिर की घंटी, मंजीरा, मृदंग इत्यादि का उपयोग करके समृद्ध ऑर्केस्ट्रा के साथ सिंक्रनाइज़ेशन है। लताजी के आलाप्स सुनने में बहोतही नाजुक लगते है. टेक ऑफ ‘जमुना के तत पर जब नटखट बंसी’ का प्रतिपादन वाले की’ ‘घुंघरू बेल्स के साथ मिश्रित ढोलक ताल के साथ तालमेल बिठाता है। ‘अंतराल’ में बांसुरी और सितार का अद्भुत प्रयोग। गाना दिलीप कुमार – मनीषा कोइराला पर फिल्माया गया है।
मेरी कोशिश रही है लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल द्वारा कंपोज़ किये गए सारे के सारे गाने शामिल करू. अगर कोई गाना इस ब्लॉग में शामिल नहीं है तो आप इसे ब्लॉग के कमैंट्स मे लिखा सकते हो.
अजय पौण्डरिक
वड़ोदरा
१८ /०८/२०२२