मजरूह सुल्तानपुरी और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल :: एक बेहतरीन तिकड़ी

 मजरूह सुल्तानपुरी और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल :: एक बेहतरीन तिकड़ी

 मजरूह सुल्तानपुरी और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल :: एक बेहतरीन तिकड़ी

 एक गीतकार के रूप में मजरूह सुल्तानपुरी ने 1945 में फिल्म संगीत में प्रवेश किया। भारतीय फिल्म संगीत में उनका योगदान असीम है। उनके गीत सहजता से धुनों के साथ घुलमिल जाते हैं, सुरों पर ऐसे सुरीले शब्द बहते हैं कि दशकों के बाद भी लोग इन नंबरों को गुनगुनाते रहेंगे।

युवा संगीतकार जोडी  लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने 1963 में फिल्म ‘पारसमणि’ के संगीत के माध्यम से हिंदी फिल्म संगीत में एक आश्चर्यजनक और अविश्वसनीय प्रवेश किया। मजरूह सुल्तानपुरी की तरह  लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने भी (1963 से 1998 तक) 35 वर्षों में लगभग 500 फिल्मों के लिए लगातार हिंदी फिल्म संगीत में अतुलनीय सेवाएं दी हैं।

1964 में फिल्म ‘दोस्ती’ के जरिए मजरूह सुल्तानपुरी और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की पार्टनरशिप शुरू हुई। ‘दोस्ती’ (1964) में लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल को अनुभवी महरूह का साथ मिला.। फिल्म ‘दोस्ती’ में मजरूह साहब के पुरस्कार विजेता बोल थे। मजरूह ने अपना एकमात्र फिल्मफेयर पुरस्कार जीता। लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने भी दोस्ती के संगीत के लिए अपना पहला फिल्मफेयर पुरस्कार जीता।

मजरूह सुल्तानपुरी और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने करीब 40 फिल्मों में काम किया। लक्ष्मी-प्यारे और मजरूह की टीम ने ‘दिल्लगी’ (1966),’ पत्थर के सनम’ (1967),’ शागिर्द’ (1967),’ मेरे हमदम मेरे दोस्त’ (1968),’ धरती कहे पुकार के’ (1969), ‘अभिनेत्री’ (1970) जैसे कुछ शानदार, उल्लेखनीय एल्बम तैयार किए। वी. शांताराम की क्लासिक, नृत्य-संगीत, ‘जल बिन मछली नृत्य बिन बिजली’ (1971), ‘एक नज़र’ (1972),’ इम्तेहान’ (1974) और कई अन्य, लेकिन अधिकांश संगीत प्रेमियों के लिए, ‘दोस्ती’ (1964) के गाने ज्यादा पसंद है, ताजगी और सादगी।

सत्येन बोस द्वारा निर्देशित ‘दोस्ती’  फिल्म ने लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल और राजश्री फिल्म्स (ताराचंद बड़जात्या) दोनों को ‘नाम’ और ‘प्रसिद्धि’ दी। ‘दोस्ती’ संगीत ने लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल को शीर्ष संगीत निर्देशकों की श्रेणी में रखा और उन्हें “घरेलू नाम” बना दिया।

बिनाका गीतमाला

मजरूह सुल्तानपुरी और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल कुल 22 बिनाका गीतमाला फाइनल्स में शामिल हैं। 1964 की शुरुआत “दोस्ती” के 2 गानों से हुई थी। १९६५, में पद/नंबर 2, “दोस्ती’ चाहुंगा में तुझे सांज सवेरे। 1966 में ‘दिल्लगी’ ये आज कल के लड़के और “मेरे लाल” १९६६ , पायल की झंकार रस्ते रस्ते के गीतों ने फाइनल में एक बड़ा प्रभाव डाला।

१९६८  में लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के कुल 8 गानों ने फाइनल में जगह बनाई। 8 गानों में से 6 गाने मजरूह-एलपी के थे, दो-दो गाने ‘शागिर्द’, बड़े मियां दीवाने और दिल विल प्यार व्यार , ‘मेरे हमदम मेरे दोस्त’ छलकाये जाम और चलो सजना, ‘पत्थर के सनम’ महबूब मेरे महबूब मेरे और बतादू क्या लाना को “शागिर्द” दिल विल प्यार व्यार मैं क्या जानू रे से चार्ट में सबसे ऊपर नंबर 1 गाने के साथ अंतिम गाने में जगह मिली।

१९६९ नंबर 12, एक तेरा साथ “वापस”, नंबर 8 जे हम तुम चोरी से  “धरती कहे पुकार के”। १९७०  नंबर 8 सा रे गा मा पा “अभिनेत्री”। साल १९७१  में  “जल बिन मछली नृत्य बिन बिजली” के दो गाने ओ मितवा ओ मितवा और तारों ने  सजके ने फाइनल में जगह बनाई।

 यहाँ ये बताना ज़रूरी है की बहोतसे super-hit गाने “फाइनल” में नहीं बज पाए, जैसे की :-

“प्यासी शाम”  १९६९  ये कैसा गम सजना       लता मंगेशकर 

                            आवारा माझी              मोहम्मद रफी 

‘एक नज़र’ १९७२      पत्ता पत्ता बूटा बूटा         लता – रफ़ी

                            प्यार को चाहिये क्या      किशोर कुमार 

                            पहिले सो बार              लता मंगेशकर 

“अनोखी अदा” १९७३ हाल क्या है दिलों का     किशोर कुमार  

‘इम्तिहान’ १९७४       रुक जाना नहीं             किशोर कुमार 

                            रोज शाम आती थी        लता मंगेशकर   

‘मेरे सजना’ १९७५    मैने कुछ खोया है         किशोर कुमार          

                           ये कौन हसा               लता मंगेशकर 

उपरोक्त सूची के अलावा गाने को कौन भूल सकता है

अनाड़ी १९७५ 

दस नंबरी १९७६

नाच उठा संसार १९७६

परवरिश १९७७

लेडीज टेलर १९८१

अजय पौंडरिक 

अटलांटा 

२३/०५/२०२३

By Ajay Poundarik

I am a Mechanical Engineering Graduate. Boiler Proficiency Engineer. Deeply In Love With Hindi Film Music When I Was Eight Years Of Age, Since 1963. I Have A Liking For All Contemporary Music Directors Compositions. I Am A Fan Of Laxmikant-Pyarelal Music. I Have Grown-Up By Listening To Laxmikant-Pyarelal Music. I Like Test Cricket Only. Worked In The Capacity Of General Manager For The Fields Of Project Implementation, Facility Management, Construction Management and Plant Maintenance In INDIA, NIGERIA for Twenty Years & AFGHANISTAN One Year.

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